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Monday, March 17, 2025

मगरिब के धूल भरे मैदानों में

 मगरिब के धूल भरे मैदानों में,
तुम मृगतृष्णा-सी दिखती थी
दिशाओं में तुम्हें तलाशते उस पथिक को।

जब मृगतृष्णा दर्पण-सी टूट जाती,
पथिक का दिल उससे कहता:
"तू दर्पण में नहीं है,
तू तो इस दिल में बसती है।

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