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Saturday, March 15, 2025

बचपन के भूले गीत: एक चहकती चिड़िया ।

 एक चहकती, बहकती सी चिड़िया थी,
एक महकती हुई सी फूलबगिया थी।
मिठास से भरी उसकी कुक-कुक से
गूंज उठी जब बगिया थी,
निशा की बेला तब छुपने को आई थी,
नव में ऊषा की ताज़गी छाई थी।
वो फुदकती, चहकती चिड़िया,
उजालों का एक संदेशा लाई थी।

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