उनकी महफ़िलों में रंग जमते हैं,
जो दिल के क़रीब हैं, मगर पास कभी नहीं आते।
जो रास्ते ख़्वाब बन गए, उन्हीं राहों की आस लगाते हैं,
क्योंकि हम राही, बेपनाह अश्कों की सराय बनाते हैं।
जो दिल के क़रीब हैं, मगर पास कभी नहीं आते।
जो रास्ते ख़्वाब बन गए, उन्हीं राहों की आस लगाते हैं,
क्योंकि हम राही, बेपनाह अश्कों की सराय बनाते हैं।
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