इतने टूटे हैं कि,टूटने का इल्म न रहा
इतने बिखरे हैं कि,
सिमटने का इल्म न रहा
तुम्हें चाहते हैं इतना कि,
अब ख़ुद के होने का इल्म न रहा
ख़ुद में देखा है तुम्हें इतना कि,
आईनों में अक्स का इल्म न रहा
ख़ुदाई तुममें देखी है इतनी कि,
ख़ुदा के होने का इल्म न रहा
वस्ल की चाहतें इतनी हैं कि,
हौसलों में फ़ासलों का इल्म न रहा।
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