poet shire

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Thursday, March 20, 2025

संजोग।

प्रकृति की गति, होती वृत्ति से,
एक तेरी थी, एक मेरी थी।
कैसे कह दूं मिलना संजोग़ था,
क्यों न कह दूं,
मिले हम अपनी गति से,
एक तेरी थी, एक मेरी थी।

लय की बयार बहती, प्र-वृत्ति से,
एक तेरी थी, एक मेरी थी।
बहना–बहकाना संजोग़ था कैसे,
क्यों न कह दूं,
मिले हम अपनी ही लय से,
एक तेरी थी, एक मेरी थी।

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