इन झरोखों पे खुलती दीवार पर
फिर उकेरा जनाब ने है दिल अपना
एक हुजूम है
सिलसिले से उन तासीरों के पीछे
उस दीवार के,
जिसपे तस्वीर बनकर हम रह गए
और वो तासीर से खिंची तस्वीरों से
जाने क्या क्या कह गए।
इन झरोखों पे खुलती दीवार पर,
फिर किसी ने उकेरा है दिल अपना।
एक हुजूम है तासीरों के सिलसिलों का,
उस दीवार के पीछे,
जहाँ तस्वीर बनकर हम रह गए,
और वो तासीर से निकली छवियों में,
जाने क्या-क्या कह गए।
फिर उकेरा जनाब ने है दिल अपना
एक हुजूम है
सिलसिले से उन तासीरों के पीछे
उस दीवार के,
जिसपे तस्वीर बनकर हम रह गए
और वो तासीर से खिंची तस्वीरों से
जाने क्या क्या कह गए।
इन झरोखों पे खुलती दीवार पर,
फिर किसी ने उकेरा है दिल अपना।
एक हुजूम है तासीरों के सिलसिलों का,
उस दीवार के पीछे,
जहाँ तस्वीर बनकर हम रह गए,
और वो तासीर से निकली छवियों में,
जाने क्या-क्या कह गए।
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