poet shire

poetry blog.

Saturday, March 15, 2025

facebook love

 इन झरोखों पे खुलती दीवार पर
फिर उकेरा जनाब ने है दिल अपना
एक हुजूम है
सिलसिले से उन तासीरों के पीछे
उस दीवार के,
जिसपे तस्वीर बनकर हम रह गए
और वो तासीर से खिंची तस्वीरों से
जाने क्या क्या कह गए।

इन झरोखों पे खुलती दीवार पर,
फिर किसी ने उकेरा है दिल अपना।
एक हुजूम है तासीरों के सिलसिलों का,
उस दीवार के पीछे,
जहाँ तस्वीर बनकर हम रह गए,
और वो तासीर से निकली छवियों में,
जाने क्या-क्या कह गए।

No comments:

Post a Comment

ads