poet shire

poetry blog.

Monday, March 17, 2025

अधर, उर की गवाही

 अधर, उर की गवाही न दे सके,
तो कलम चल पड़ी,
फसाने में चुपके से लिख बैठे वो
हाल-ए-दिल अपना।

अंदाज़-ए-बयाँ तो देखिए,
कि इनमें—
है रागिनी की शांति,
और गौरैयों की चहक भी।

No comments:

Post a Comment

ads