poet shire

poetry blog.

Saturday, March 22, 2025

लिखने जो बैठूं तुझे,

लिखने भी बैठूं तुझे, तो क्या लिखूं मैं,
लिख दूं अपने दर्दे-जिगर का हाल,
या लिखूं खय्याम से खयाल।

लिख दूं सुबू सी, तेरी आंखों की प्यालियां,
तेरी महफ़िल में बदनाम आशिकों की गलियां।
कौन-कौन से हुस्न का रखूं हिसाब,
तेरे जौहर हैं सारे बेहिसाब।

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