कभी बुलाते नहीं, मगर
तस्वीर मेरी दिल पे रखकर,
मुझे छुप-छुप कर याद करते हो,
अपनी ग़ज़लों में,
फिर मुझे आबाद करते हो...
तुम भी तो...
तुम भी तो...
मुझसे ही प्यार करते हो।
तुम भी तो, जुदाई में,
बहते अश्कों से सवाल करते हो,
ज़ुदा करके खुद से मुझे,
फिर मेरा इंतज़ार करते हो।
इबादत भी, महरूमियत भी,
ये कैसा इंतक़ाम करते हो?
तुम भी तो...
तुम भी तो...
छुप-छुप अश्रु बहाकर,
मेरा इंतज़ार करते हो।
No comments:
Post a Comment