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Saturday, March 1, 2025

"तसव्वुर से ताबीर तक"

वादा

Vrihad


आपके जाने से,
आपके आने के इंतज़ार तक
आपके न होने से,
फिर से होने के इल्म तक।

इश्क़ की चेतना से,
जुदाई की वेदना तक
फिर वेदना में भी आस रखने तक
तसव्वुर को ताबीर होने तक
मजमून-ए-इश्क़ की दास्तान फ़लसफ़ा होने तक

इस सूने से दिल में फिर से दस्तक होने तक
महरूमियत-ए-शिद्दत से
मोहब्बत की ज़िद होने तक,

इस ज़िंदगी के सफ़र में,
आपके हमसफ़र होने की
छोटी-सी छोटी उम्मीदों तक
मैं खड़ा रहा हूँ उसी मोड़ पर
जहाँ मिलने का आपने वादा किया था।

...एक आँसू भी न टपका निर्मोही की आँखों से,
पलकों ने हौसलों को
तोड़ने की सिफ़ारिश तो बहुत की,
पर यक़ीन काँच के नहीं होते।


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