आपके जाने से, आपके आने के इंतज़ार तक
आपके होने से, फिर न होने से, फिर होने तक
इश्क़ की चेतना से, जुदाई की वेदना तक
आपके होने से, फिर न होने से, फिर होने तक
इश्क़ की चेतना से, जुदाई की वेदना तक
फिर वेदना में भी आस रखने तक
तसव्वुर को ताबीर होने तक
मजमून-ए-इश्क़ की दास्तान फ़लसफ़ा होने तक
इस सूने से दिल में फिर से दस्तक होने तक
महरूमियत-ए-शिद्दत से
मोहब्बत की ज़िद होने तक,
इस ज़िंदगी के सफ़र में,
आपके हमसफ़र होने की छोटी-सी छोटी उम्मीदों तक
मैं खड़ा रहा हूँ उसी मोड़ पर
जहाँ मिलने का आपने वादा किया था।
एक आँसू भी न टपका निर्मोही की आँखों से
पलकों ने हौसलों को
तोड़ने की सिफ़ारिश तो बहुत की,
पर यक़ीन काँच के नहीं होते।
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