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Saturday, March 15, 2025

अर्ज़ का ख़याल

 कुछ तो कशिश है उन आंखों में
जब भी देखता हूँ
निहाल हो जाता हूँ
कमबख्त दिल बेहाल हो जाता है।

आरजूओं के आसमान हैं
ये सागर के समान हैं
इनकी गहराइयों में डूबा मैं
अर्ज़ का ख़याल हो जाता हूँ।

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