1.
प्रेम संदेह है,
प्रेम आस्था है,
प्रेम — संदेह से
आस्था तक का रास्ता है।
2.
प्रेम संशय है,
प्रेम समाधान है,
प्रेम — संशय से
समाधान का ध्यान भी है।
3.
प्रेम उत्कंठा है,
प्रेम निवारण है,
प्रेम — उत्कंठा से
निवारण तक उपासना है।
4.
प्रेम उत्प्रेरक है,
प्रेम सम्पूर्ण है,
प्रेम — उत्प्रेरक से
सम्पूर्णता की कविता है।
5.
प्रेम सृजन है,
प्रेम विध्वंस है,
प्रेम — सृजन से
विध्वंस तक विस्तृत संसार है।
6.
प्रेम विरह है,
प्रेम संदेह है,
प्रेम आस्था है,
प्रेम — संदेह से
आस्था तक का रास्ता है।
2.
प्रेम संशय है,
प्रेम समाधान है,
प्रेम — संशय से
समाधान का ध्यान भी है।
3.
प्रेम उत्कंठा है,
प्रेम निवारण है,
प्रेम — उत्कंठा से
निवारण तक उपासना है।
4.
प्रेम उत्प्रेरक है,
प्रेम सम्पूर्ण है,
प्रेम — उत्प्रेरक से
सम्पूर्णता की कविता है।
5.
प्रेम सृजन है,
प्रेम विध्वंस है,
प्रेम — सृजन से
विध्वंस तक विस्तृत संसार है।
6.
प्रेम विरह है,
प्रेम मिलन है,
प्रेम — विरह से
मिलन तक, इंतज़ार है।
7.
प्रेम तृष्णा है,
प्रेम तृप्ति है,
प्रेम — तृष्णा को
तृप्त करती अमृत सुधा है।
8.
7.
प्रेम तृष्णा है,
प्रेम तृप्ति है,
प्रेम — तृष्णा को
तृप्त करती अमृत सुधा है।
8.
प्रेम नश्वर विस्तृत संसार है,
प्रेम अनश्वर ब्रह्म आधार है,
प्रेम — नश्वर से
अनश्वर तक योग संचार है।
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