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Saturday, February 22, 2025

मेरी रज़ा - मेरी सज़ा


ख़ुदी को कर बुलंद इतना
कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बंदे से पूछे —
“बता तेरी रज़ा क्या है?”
और मैं ख़ुदा से मांग लूँ —

"ऐ ख़ुदा, मुझे चंद लम्हे दे,
कि उनकी नज़रों की सरगोशियों में डूब जाऊँ।
सुना है, उनकी नज़रों से एक राह गुज़रती है —
जो सीधा उनके दिल तक जाती है।

 

वो दिल ही मेरी जन्नत है,
वही मेरी तक़दीर लिख दे।
आज मेरी ख़ुदी को इतना बुलंद कर दे —
कि इश्क़ भी सर झुका दे,
और तक़दीर भी मेरी मोहब्बत से सज़दा करे।

         यही मेरी रज़ा है — यही मेरी सज़ा कर दे। 

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