न भूत खींचे आंधी-जंजीरें,
न कल की यादें दिल को घेरें।
जो बीत गया, वो स्वप्न हुआ,
जो पास है बस, वही अपना ।
भव्य स्वागत किसका करोगे,
जब आज में ही नहीं जीयोगे?
स्वर्णिम कोई आने वाला कल नहीं,
स्वर्णिम पल है, जो संग खड़ा यही।
देखो, अवलोकन कर के,
करने को क्या है,अभी सबसे जरूरी
भीड़ जाओ और जी जाओ, बन सुरूरी।
की, खुश रहने का राज़ यही है।
~वृहद
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