poet shire

poetry blog.

Thursday, April 24, 2025

तेरी यादों का नशा

तेरी यादों का नरऊँ-नरऊँ नशा आँखों में है,
एहसासें धड़कन बनी, सिमरन साँसों में है।

तेरी चूड़ियों की खनक अब भी कानों में है,
तेरे छुवन का कंपन, रोम-रोम पनाहों में है।

तेरे इल्म-ए-नूर की बारिश हर-सूं बहती रही,
तेरी पायल की छनक से बसी धूप निगाहों में है।

तेरी ग़ुंचा-सी हँसी बसी अब भी इन राहों में है,
तेरा नाम ही जैसे सदा इन सदा-गाहों में है।

तेरे ख़्वाबों की किरनें उतर आईं निगारों में,
तेरे इश्क़ की महक आज भी मेरी चाहों में है।

तेरे लफ़्ज़ों की नमी पलकों की इन छाँवों में है,
तुझसे छूटा जो भी रिश्ता, वो अब दुआओं में है।

No comments:

Post a Comment

ads