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Thursday, April 17, 2025

एक साहिर भी है इंतज़ार में।

 जी चुके अब बहुत, तुम झूठे इक किरदार में,
सच का द्वार खुला रखा है, तुम्हारे इंतज़ार में।

बहक गए हो बहुत, झूठी इक तलाश में,
अहद-ए-वफ़ा-ए-ईमाँ है तुम्हारे इंतज़ार में।

जब थक जाओ किसी इमरोज़ की पनाह में,
मेरे दर पे आना... एक साहिर भी है इंतज़ार में।

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