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Friday, December 22, 2017

ये कविता तुम्हारी

ये तुम्हार दिमाग न हो गया की 
की है ये  कविता मैन्युफैक्चरिंग मशीन 
कहाँ से लाते हो ऐसे जज़्बात 
और कहाँ से आती हैं 
दिलों को छू जाने वाली बात। 

उस चक्की का आंटा हम भी खाते 
पर क्या करें 
हमारे यहाँ तो बस चावल ही मिलता है 
फिर भी बता दो 
कौन सी चक्की का आंटा कहते हो 
भोले बलम !
हर सेकंड एक नयी कविता लिख जाते हो। 

आपकी कविता मानो 
एक जीवन सार हो आपका 
जीवन ही कविता है या 
कविताओं में बसी जिंदगी है आपकी। 

ऐसे तरसाते हो 
न कुछ बताते हो 
बस हर छंद में 
हमे ही गुनगुनाते नजर आते हो 

वहम  है हमारा या 
इबादतें है ये तुम्हारी 
हर काव्य में मानो 
की बस चर्चा हो हमारी। 

ये कविता है तुम्हारी या 
शब्दों में घुली कोई तस्वीर हमारी। 



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