लेखन-लेखनी में मैं,
देखूं तुममे सपने साँच
जो छलके जाये वो लिखूं मैं
सब प्यार भरे जज़्बात।
हिना के रंग में रंगूं , मोहिनी
तुमको, प्रेम पात्र में भरकर
स्नेह सुगंध आवाज़।
लेखन लेखनी में
खोल दूँ सारे राज़
झर झर बहे जो नदिया बनकर,
जिनके तीरे बैठ बजाऊं मैं
मुरली की तान, बना दूँ
संग तुम्हारे बीते
यादों की पहचान।
लेखन-लेखनी मेरी
है सिमरन की माला
इन्हे पेहेन के रोज़
वरूँ तुम्हे मैं
हो जाऊँ मैं बस तुम्हारा।
देखूं तुममे सपने साँच
जो छलके जाये वो लिखूं मैं
सब प्यार भरे जज़्बात।
हिना के रंग में रंगूं , मोहिनी
तुमको, प्रेम पात्र में भरकर
स्नेह सुगंध आवाज़।
लेखन लेखनी में
खोल दूँ सारे राज़
झर झर बहे जो नदिया बनकर,
जिनके तीरे बैठ बजाऊं मैं
मुरली की तान, बना दूँ
संग तुम्हारे बीते
यादों की पहचान।
लेखन-लेखनी मेरी
है सिमरन की माला
इन्हे पेहेन के रोज़
वरूँ तुम्हे मैं
हो जाऊँ मैं बस तुम्हारा।
No comments:
Post a Comment