बहती क़लम में मानो वो वाबस्ता हो गया है।
हर स्याही में उनकी याद की ख़ुशबू बस गई,
हर सफ़्हा मेरी रूह का आरास्ता हो गया है।
इक तेरी मुस्कान ने जबसे मुझे छुआ है,
अल्फ़ाज़ भी जैसे इश्क़ का वास्ता हो गया है।
कल तलक जो ख़ामोश थी ये वीरान सी तहरीर,
तेरे ज़िक्र से हर लफ़्ज़ गुलिस्तां हो गया है।
मुझे भी नहीं ख़बर थी, मैं इतना तुझमें गुम हूँ,
कि जो मैं लिखूँ, वही मेरा आस्ताँ हो गया है।
शब्द अर्थ
असर-ए-दीद: नज़र का प्रभाव, देखने का असर
राब्ता : संबंध, जुड़ाव
वाबस्ता: सम्बद्ध, जुड़ा हुआ
सफ़्हा :पृष्ठ, पन्ना
आरास्ता :सुसज्जित, अलंकृत
वास्ता : संबंध, जुड़ाव का माध्यम
तहरीर :लेखनी, लिखी गई चीज़
गुलिस्तां :पुष्पवाटिका,
बाग़; सुंदरता और भावों की जगह
आस्ताँ: चौखट, दर, आस्था या प्रेम की मंज़िल
गुम खोया हुआ।