poet shire

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Saturday, March 22, 2025

हक़ीक़त के आईने

ऐब-ए-हुनर में जीने वाले,
इतराते बहुत हैं।

जहीन-ए-फ़ितरत में जीने वाले,
छुपाते बहुत हैं।

दस्तूर-ए-सच को अपनाने वाले,
निभाते बहुत हैं।

वर्शन 2

हुनर-ए-ऐब में जीने वाले,
इतराते बहुत हैं।

फ़ितरत-ए-जहीन में जीने वाले,
छुपाते बहुत हैं।

सच-ए-दस्तूर को अपनाने वाले,
निभाते बहुत हैं।

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