poet shire

poetry blog.

Saturday, February 22, 2025

इल्तिज़ा

"प्रेम और कविता की दुनिया में डूबे दो रूह, एक-दूसरे को शब्दों से जोड़ते हुए।"
है सनम तुझसे बस इतनी सी इल्तिज़ा, 
मैं भी तुझे लिखता रहूँ, तू भी मुझे लिखती रहे सदा।

सफ़र-ए-ज़िंदगी यूं मुकम्मल होती रहे 
की तुझमें मैं,और मुझमें तू, कुछ यूँ ज़िंदा रहें, सदा।

No comments:

Post a Comment

ads