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Wednesday, February 26, 2025

बुझते अलाव की चिंगारी

एक आदमी सर्द बर्फीली रात में अलाव के पास बैठा है, हाथों में उस लड़की की तस्वीर थामे जिसे उसने कभी बेइंतहा चाहा। उसके चेहरे पर यादों की गर्मी और तन्हाई की ठंडक साफ झलकती है।"



 ठंडी की ठिठुरन सी जिंदगी में,
बुझते अलाव की चिंगारी सी,
कुछ राहत है तुम्हारी यादों में।

बोलती हैं तस्वीर भी तुम्हारी अकसर
जो तुम कभी चुप सी हो जाती हो,
जाड़े की धूप भी न हो कभी तो
कांपते लफ्ज़ संभल जाते हैं इन्हें देख कर।

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