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Saturday, November 24, 2018

जुदाई की वेदना

ऐ जाने वाले 
मुझसे जुदा होने पे,खुद पे ये जुल्म न कर
अभी बहुत आशियाँ देखने हैं तुझे 
हमने जो खोया एक दूजे से टूटकर 
उसके इल्जाम ए इल्म से इतर,
जो तेरे आंखों में सपनो के समंदर हैं
उन सपनो का सम्मान कर।

तो क्या हुआ एक सितारा जो अति प्यारा था
वो टूट गया, एक साथी था जो छूट गया
वक़्त के नजाकत में खुद नाजुक न बन।
मेरी न सही खुद की कदर कर
तेरे सपनोँ के समन का इन्तेकाम न कर 
मैं तेरा न सही, तू खुद की अपनी तो है।

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