poet shire

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Monday, March 31, 2025

इक दिन जब तेरे साथ रहे।

 गुफ्तगू के दौर चले,

और साँसें थमने को थीं,
उस रोज़ जब हम मिलने को थे।

नज़रें टकराईं जब पहली बार,
अरमानों के कई फूल खिले,
उस इक दिन जब तेरे साथ रहे।

नज़रें नजरों में रहीं,
बंधन हाथों में रहे,
हुई मौसमों की साज़िश,
फुलकारियों में,
भीगा था बदन,
सर्द थीं राहें,
सांसों में चलीं
सरगोशियों की गर्म आहें,
नजरों में कैद हो गए वो लम्हे,
वो इक दिन जब तेरे साथ रहे।

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