poet shire

poetry blog.

Wednesday, August 29, 2018

आयतें

जर्द ए शब लिए
और कितना जिएं हम
पर अपना दर्द भी किससे कहे हम

एक दीवार है
प्रियतम उस पार है
ऐतबार ए दरख्त
जा पहुंची दीवार के ऊपर
आयतों की बेलें उग आयीं हैं
उनपर,
कुछ मेरी कुछ उनकी।

पुष्पाञ्जलि दरख्त के नीचे
मोगरे सिमट गए
ये प्रेम कहानी कह।







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