जर्द ए शब लिए
और कितना जिएं हम
पर अपना दर्द भी किससे कहे हम
एक दीवार है
प्रियतम उस पार है
ऐतबार ए दरख्त
जा पहुंची दीवार के ऊपर
आयतों की बेलें उग आयीं हैं
उनपर,
कुछ मेरी कुछ उनकी।
पुष्पाञ्जलि दरख्त के नीचे
मोगरे सिमट गए
ये प्रेम कहानी कह।
और कितना जिएं हम
पर अपना दर्द भी किससे कहे हम
एक दीवार है
प्रियतम उस पार है
ऐतबार ए दरख्त
जा पहुंची दीवार के ऊपर
आयतों की बेलें उग आयीं हैं
उनपर,
कुछ मेरी कुछ उनकी।
पुष्पाञ्जलि दरख्त के नीचे
मोगरे सिमट गए
ये प्रेम कहानी कह।